राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पोखरी में मनाया “गढ़ भोज दिवस” ! वही प्रभारी प्राचार्य नन्दकिशोर चमोला बोले कोदा - झंगोरा बन रहा पहाड़ की मजबूती! पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇
पोखरी । राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नागनाथ पोखरी में गढ़ भोज दिवस मनाया गया ।आज राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नागनाथ पोखरी में आयोजित गढ़ भोज दिवस में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया ।भाषण प्रतियोगिता में कु काजल ने गढ़ भोज से आजीविका पर भाषण देकर ,कु कंचन ने गढ़ भोज से इतिहास पर भाषण देकर प्रथम स्थान , कु कोमल ने पारम्परिक भोजन अनाज पर, कु प्रीती ने पारम्परिक फसल एवं बीज तथा दिदीयो यु बुग्याल माटू विक जालू गीत सुनाकर द्बितीय स्थान प्राप्त किया ।कु आंचल भण्डारी ने साहित्यकार गिरीश तिवारी का उत्तराखंड मेरी माटी मेरी भूमि गीत के माध्यम से गढ़ भोज का महत्व समझाया और तीसरा स्थान प्राप्त किया ।साथ ही छात्राओं द्बारा लोक गीत भूंजी जाला चूड़ा गाकर कार्यक्रम को शानदार बनाया गया ।छात्र मानवेंद्र ने कोदू झगोरु पुनः विसरी ,टक लेगी मैगी पर कविता सुनाई । इस अवसर पर डा राजेश भट्ट ने गढ़ भोज के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसे पर्यटन से जोड़ा जाय जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को गढ़ भोज पसंद आयेगा और स्थानीय उत्पादों के पकवानों को विशिष्ट पहचान तथा स्थानीय लोगों को स्वरोजगार प्राप्त होगा और हमारा उत्तराखण्ड पर्यटन प्रदेश बनेगा ।प्रभारी प्राचार्य डा नन्द किशोर चमोला ने गढ़ भोज कोदा, झगोरा, कपली, बाड़ी, आरसा, कणडाली,सांग, फाणू, भाग की चटनी,मडुवे की रोटी, गहत, लिगडे, की सब्जी,लाल भात, आलू का थिचवाणी,चैसा,बुखणा, चूड़ा के महत्व गढ़वाली भोजन परम्परा में मुगरी ककड़ी खाने के लिए साधन प्राप्त करने के लिए बाध्य बनना पड़ेगा तथा गैर परम्परागत खेती उगाने के लिए छात्र छात्राओं को प्रेरित किया और साथ ही नरेंद्र सिंह नेगी की कविता जै जसदेई मेरी गढ़ देशा को गाकर सुनाया।
कार्यक्रम का संचालन डा आरती रावत ने गढ़वाली भाषा में करते हुए गढ़वाली भोजन और संस्कृति के प्रचार प्रसार का महत्व एवं उद्देश्य छात्र छात्राओं को बताया । इस अवसर पर डा जगजीत सिंह, डा शशि इस,डा अंजली रावत,डा अभय कुमार श्रीवास्तव, डा अशू सिंह, डा शाजिया सिद्दकी, डा अनिल कुमार, डा चन्द्र सुत हरिओम, डा कंचन सहगल, सहित तमाम प्राध्यापक , कर्मचारी और छात्र छात्राये मौजूद थे ।
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