छोटी सी नाराजगी... और बुझ गया एक उज्ज्वल सपना – श्रीनगर डेम में मिला रुद्रप्रयाग की कामाक्षी रावत का शव। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇
छोटी सी नाराजगी... और बुझ गया एक उज्ज्वल सपना – श्रीनगर डेम में मिला कामाक्षी रावत का शव
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड:
रुद्रप्रयाग जिले के तिलनी गांव से बीते 9 जुलाई को लापता हुई नाबालिग बच्ची कामाक्षी रावत का शव शुक्रवार को श्रीनगर डेम से बरामद किया गया। परिजनों द्वारा शव की पुष्टि कर दी गई है। यह दर्दनाक घटना पूरे क्षेत्र में शोक और चिंता का विषय बन गई है।
❖ नाराज होकर घर से निकली थी बच्ची
परिजनों के अनुसार, कामाक्षी किसी घरेलू बात पर नाराज होकर घर से निकली थी और फिर वापस नहीं लौटी। परिवार और स्थानीय लोगों द्वारा काफी खोजबीन के बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार 26 जुलाई को श्रीनगर डेम में एक शव मिलने की सूचना मिली, जिसकी शिनाख्त कामाक्षी के रूप में की गई।
❖ कीर्तिनगर पुलिस ने की कार्यवाही
घटना की सूचना मिलते ही कीर्तिनगर पुलिस मौके पर पहुंची और पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम की कार्यवाही शुरू की गई। प्रारंभिक जांच में आत्महत्या की आशंका जताई जा रही है, हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
❖ सवालों के घेरे में समाज – क्यों उठ रहे हैं बच्चे ऐसे कदम?
इस दुखद घटना ने एक बार फिर से समाज के सामने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
क्या आज का समाज बच्चों की भावनाओं को समझने में विफल हो रहा है?
क्या घरों में संवाद की कमी बच्चों को मानसिक रूप से अकेला कर रही है?
क्या बच्चों में भावनात्मक सहनशीलता घटती जा रही है?
❖ मनोवैज्ञानिकों की राय
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आज के दौर में बच्चों के मन में चल रहे संघर्षों को समझना बेहद जरूरी है। छोटी-छोटी बातों पर नाराज होकर घातक निर्णय लेने की प्रवृत्ति एक मूक मानसिक संकट की ओर इशारा करती है।
"बच्चों को डांटना नहीं, संवाद करना ज़रूरी है। उन्हें यह महसूस कराना चाहिए कि वे चाहे कितनी भी नाराज हों, पर घर उनका सबसे सुरक्षित स्थान है।"
❖ परिवार शोक में, गांव में मातम
कामाक्षी रावत की मौत से न केवल उसका परिवार बल्कि पूरा गांव तिलनी शोक में डूबा है। हर कोई इस घटना को "अनहोनी" नहीं, बल्कि "सामाजिक चेतावनी" मान रहा है।
🔴 हमारी अपील:
हर माता-पिता, शिक्षक और अभिभावक से अपील है कि बच्चों से संवाद बनाए रखें। उनकी भावनाओं को समझें, उन्हें सुने बिना आंकें नहीं।
एक पल की संवेदनशीलता, एक जीवन बचा सकती है।
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