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*रिपोर्ट:- अंकित उनियाल* पौड़ी/
*DM हो तो ऐसा! बच्चों की सुरक्षा और जागरूकता की नई इबारत लिख रहे हैं जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान* जब प्रशासन संवेदनशील हो, तो बदलाव दिखने लगता है। गुलदार और तेंदुए के बढ़ते हमलों से सहमे स्कूली बच्चों के चेहरों पर अब आत्मविश्वास लौटने लगा है—और इसका श्रेय जाता है जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान को, जिन्होंने बच्चों की सुरक्षा को शिक्षा से जोड़ने की अनोखी पहल शुरू की है।डॉ. चौहान के निर्देशन में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) और शिक्षा विभाग ने मिलकर एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया है, जिसमें बच्चों को 'गुलदार से कैसे सतर्क रहें', इसके व्यवहारिक उपाय सरल भाषा और रोचक चित्रों के माध्यम से सिखाए जा रहे हैं।इस अभिनव प्रयास को खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सराहा और वैकुण्ठ चतुर्दशी मेले के शुभारंभ अवसर पर इस पुस्तक का विमोचन किया। आज यह पाठ्यक्रम जिले के स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है—जिससे न केवल बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि अभिभावकों को भी मानसिक राहत मिली है।लेकिन जिलाधिकारी की सोच सिर्फ वन्यजीवों तक सीमित नहीं है। अब जल्द ही स्कूलों में ड्रग्स से बचाव, पॉक्सो कानून की जानकारी और साइबर सुरक्षा जैसे विषयों पर भी विशेष पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। इन पुस्तकों में बच्चों को बताया जाएगा कि नशा कैसे नुकसान पहुंचाता है, कानूनी प्रावधान क्या हैं, साइबर ठगी से कैसे बचें और अपनी डिजिटल सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करें।डॉ. चौहान का कहना है, "बच्चों को केवल किताबों का ज्ञान ही नहीं, बल्कि व्यवहारिक जीवन में सतर्कता की शिक्षा भी जरूरी है। हमारा प्रयास है कि हर बच्चा न केवल पढ़ाई में अच्छा हो, बल्कि समाज और डिजिटल दुनिया में भी सुरक्षित और जिम्मेदार नागरिक बने।"प्राचार्य स्वराज सिंह तोमर ने बताया कि DIET द्वारा तैयार यह पाठ्यक्रम बच्चों को जंगल या जोखिम भरे इलाकों में सतर्क रहने की व्यवहारिक जानकारी देता है।वाकई, जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान की यह पहल दिखाती है—DM हो तो ऐसा!

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